राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA )
Saturday, March 21, 2009
GAZAL
इस मजमें में एक तरफ से ख्वाजा हसन भी आये
अपने खेमे में बैठे चारों पर्दे सरकाये
रात गये तक लोग आते थे अपने पैर दबाये
आजादी के दीवानों ने अपने पैर जमाये
ऐ दोरी! क्या याद नहीं आती अब तुझको उस सन की
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सुना सत्तावन की
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment