राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA )
Friday, January 9, 2009
एक दिल
हर एक दिल धड़क रहा है इस तरह
कि जैसे तब्लेजंग (रणभेरी) की पुकार हो
कि रास्ते में जंग की खबर लिए
यह जैसे कोई तेज रौ सवार हो
कि शामे लखनऊ की वह द्रौपदी
बिरहना (व्यथित) है हर एक रहगुजार पर
यह केश ढूढ़ती है भीम की गदा
चलो तलाश में फरायजदार (कर्त्तव्य) पर
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment