Wednesday, January 7, 2009

GAZAL

कटारें एतिकाद (आस्था) की निकल पडीं
ख्याले-आखरत (परलोक का ध्यान) ने फैसला किया
घरों में गूँजने लगीं कहानियाँ
बहन ने भाइयों से तजकिरा (जिक्र) किया

पतीलियों में भाप गूंजने लगी
बस अब अनाज डालने की देर है
बहार और जुनूं (उन्माद) की दास्तान पर
लहू का रंग उछालने की देर है

1 comment:

  1. बहार और जुनु की दास्तां पर
    लहू का रंग उछलने की देर है
    लाजवब लिखा है

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