राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA )
Tuesday, February 10, 2009
GAZAL
जब बात वतन की है तो क्या भाई भतीजा
अंग्रेजों के जो साथ हैं उनसे नहीं रिश्ता
मजहब को भी है बात नहीं कोई तमाशा
अंग्रेजों की फौजों से निकल आये तो अच्छा
रोके से न मानेगी जो एक बार चलेगी
हम रन की तरफ जाते हैं तलवार चलेगी
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