Friday, February 27, 2009

क्रांति कथा

सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की
कान खोलकर सुना कथा है क्रांति के पहले सावन की

सबने चलाया, धीरे-धीरे फौज पे अपना जादू
आजादी की नई कली चटकी तो फैली खुशबू
हिन्दी फौज में नफरत की एक आँधी आई हरसू (चारों ओर)
जिसको पानी समझ रहे थे वह तो निकला बालू
बाँध लो सबने एक कमल से डोरी अपने जीवन की
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की

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