Tuesday, February 3, 2009

GAZAL

बदले हैं तो यूँ बदले हैं बिगड़े हुए हालात
शहरों में है वह भीड़ न वह शोर न वह बात
है सुबह का संगीत न गीतों से भरी रात
देखो कि यह है अहद-ए-फिरंगी की करामात
जलती हुई करघे का धुआँ आने लगा है
मलमल भी बिलायत से यहाँ आने लगा है

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया गज़ल प्रेषित की है।

Udan Tashtari said...

जलती हुई करघे का धुआँ आने लगा है
मलमल भी बिलायत से यहाँ आने लगा है


--आभार इस प्रस्तुति का. मजा आ गया.