Wednesday, February 25, 2009

GAZAL

फ़ौजों की हर सफ़ में इसी बात का चरचा
जिस आँख में देखो, वहीं भड़का है यह शोला
खुद उनके मसाइल (समस्याएँ) की हवा का भी है झोंका
एहसासे बग़ावत इन्हें देता है दिलासा
हम लड़ने पै आयेंगे तो फिर डट के लड़ेंगे
तोपों से भी अड़ जायेंगे, पीछे न हटेंगे

भिखमंगा हो, धोबी हो, वह भंगी हो कि नाई
साधू हो कि जोगी हो, वह बाबा हो कि माई
वह गाँव का मुखिया हो, कि बीवी का हो भाई
जो आया सिपाही के लिए यह खबर आई
या राह में, या गाँव में उसने यह सुना है
हर गाँव,हर एक शहर बगावत पे तुला है

1 comment:

MANVINDER BHIMBER said...

भिखमंगा हो, धोबी हो, वह भंगी हो कि नाई
साधू हो कि जोगी हो, वह बाबा हो कि माई
वह गाँव का मुखिया हो, कि बीवी का हो भाई
जो आया सिपाही के लिए यह खबर आई
या राह में, या गाँव में उसने यह सुना है
हर गाँव,हर एक शहर बगावत पे तुला है
sunder शब्दों का पर्योग किया है ....बहुत खूब