Wednesday, January 14, 2009

GAZAL

गम गम गम तबला यह बोला
सा रे गा मा पा धा नी सा
घुँघरू ने ये ठोकर खाई
या छन छन छन शीशा टूटा

रोयें रोयें कितना रोयें
सारंगी घबराकर बोली
मौसी की (संगीतज्ञ) ने लाख पुकारा
तानपुरे ने आँख न खोली

रक्कासाएं (नर्तकी) नाच रही हैं
टूटे जैसे जिस्म किसी का
सोच रहा है कुलकुले मीना (सुराही से शराब निकालने का स्वर)
किसको दे इस बज्म में पुरसा (महफिल में किसका हाल पूछे)

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