Friday, January 23, 2009

GAZAL

गीतों की लय तेज हुई और कदमों की रफ्तार बढ़ी
आँखों की दुनिया भी बदली, होठों की तलवार बढ़ी
हाथ बढ़े काछों की जानिब टोक दिया चौपालों ने
खेतों से जब आँख मिलाई खेतों के रखवालों ने


पिछले राजा जैसे भी थे अच्छे थे अंग्रेजों से
आँख निकल आई खेतों की सख्त लगान के फन्दों से
घर की दुनिया उजड़ी-उजड़ी उन नैनों का जादू बन्द
एक लगान अदा करने में खुल-खुल जाये बाजूबन्द

अंग्रेजों की जेब में जा पहुँची अपनी बदहाली तक
गेहँू की वाली से लेकर कानों की हर वाली तक
साहब लोगों से तो अच्छे निकले चोर उचक्के भी
खेतों की चुगली खाते हैं इन तारों के खम्बे भी

1 comment:

Dr Parveen Chopra said...

बढ़िया रचना है।