Friday, November 21, 2008

अकेला तूफान 3

राही मासूम रज़ा


सनाओं क्या रंग है उधर के
यह यक-व-यक कैसे आ गये तुम
न खत न पत्तर न आना जाना
कोई न हो नौकरी में यूं गुम

तुम्हारी आंखें बता रही हैं
कि रात भर जागते रहे हो
मगर यह इतने थके से क्यों हो
बताओं कब से हंसे नहीं हो

कई दिनों से नहीं हंसा हूं
बहुत दिनों तक नहीं हंसूंगा
सुनाओ यारों कि रंग क्या है
यह अपना किस् मैं फिर कहूगां

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