-[वाड्मय]- यूं तो राही मासूम रजा पर अनेक पत्रिकाओं ने विशेष अंक प्रकाशित किए हैं परन्तु राही की बहुमुखी रचनात्मक प्रतिभा के अनेक रंगों को उजागर करती हुई दुर्लभ सामग्री से भरपूर है त्रैमासिक पत्रिका वाड्मय का राही मासूम रजा अंक। प्रथम खंड में प्रताप दीक्षित के परिचयात्मक लेख के साथ राही की चुनी हुई 7 कहानियां हैं। दूसरे खंड में उनके लेखन की बहुकोणीय पडताल और मीमांसा है। साक्षात्कार खंड में प्रेम कुमार की उनकी संगिनी नैयर रजा से बेहद दिलचस्प और बेबाक बातचीत है जो इस आयोजन की उपलब्धि है। हिंदी सिनेमा को राही के योगदान पर प्रकाश डालते हुए चौथा खंड अपने में विशिष्ट और महत्वपूर्ण है। -[वाड्मय/ सं. डा.एम.फीरोज अहमद]http://in.jagran.yahoo.com/sahitya/?page=slideshow&articleid=1969&category=11#0
Monday, January 19, 2009
उद्देश्यपूर्ण पत्रिका
-[वाड्मय]- यूं तो राही मासूम रजा पर अनेक पत्रिकाओं ने विशेष अंक प्रकाशित किए हैं परन्तु राही की बहुमुखी रचनात्मक प्रतिभा के अनेक रंगों को उजागर करती हुई दुर्लभ सामग्री से भरपूर है त्रैमासिक पत्रिका वाड्मय का राही मासूम रजा अंक। प्रथम खंड में प्रताप दीक्षित के परिचयात्मक लेख के साथ राही की चुनी हुई 7 कहानियां हैं। दूसरे खंड में उनके लेखन की बहुकोणीय पडताल और मीमांसा है। साक्षात्कार खंड में प्रेम कुमार की उनकी संगिनी नैयर रजा से बेहद दिलचस्प और बेबाक बातचीत है जो इस आयोजन की उपलब्धि है। हिंदी सिनेमा को राही के योगदान पर प्रकाश डालते हुए चौथा खंड अपने में विशिष्ट और महत्वपूर्ण है। -[वाड्मय/ सं. डा.एम.फीरोज अहमद]http://in.jagran.yahoo.com/sahitya/?page=slideshow&articleid=1969&category=11#0
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment