राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA )
Thursday, January 22, 2009
GAZAL
बाजू की मछली को देखा चौड़ी छाती वालों ने
घरवालों की बातें सुनकर आँखें खोल दी भालों ने
उँगली को इक बात बताई तलवारों की धारों ने
बुझते दीप को सूरज जाना तारीकी के मारों ने
1 comment:
निर्मला कपिला
said...
bahut khoob kaha hai
January 22, 2009 at 11:14 AM
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1 comment:
bahut khoob kaha hai
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