राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA )
Friday, March 13, 2009
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो
जासूसों ने ढूंढा और इक दस्तावेज निकाली
जिसके हर हर लफ्ज से छलकी खून की गहरी लाली
खून की सुर्खी देख के काँपी रात भयानक काली
आजादी को सींच रहे थे अपने खून से माली
वह कागज था एक कहानी कितने दिलों के धड़कन की
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की
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