भारत वाले देख रहे थे महायुद्ध के सपने
जो नहीं समझे वह भी समझे जो समझे वह समझे
ऐसी हवा थी युद्ध का खेल ही खेल रहे थे बच्चे
उन्तीस मार्च को बैरकपूर में लड़ गये मंगल पांडे
अब तक याद है फाँसी के फन्दे में ऐंठन गर्दन की
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की
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