Sunday, March 22, 2009

GAZAL

भारत वाले देख रहे थे महायुद्ध के सपने
जो नहीं समझे वह भी समझे जो समझे वह समझे
ऐसी हवा थी युद्ध का खेल ही खेल रहे थे बच्चे
उन्तीस मार्च को बैरकपूर में लड़ गये मंगल पांडे
अब तक याद है फाँसी के फन्दे में ऐंठन गर्दन की
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की

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