Saturday, March 7, 2009

GAZAL

मोतीधर ने गद्दारी की और अंग्रेज ने जाना
ऐसे गद्दारों का भैया कहो कहां हैं ठिकाना
देश बेचकर पाया होगा चन्द टकों का बयाना
गद्दारी करने से तो अच्छा ही था मर जाना
मर जाता तो धूल दवा बन जाती उसके दामन की
सुनो भाइयो, सुनो भाइयो, कथा सत्तावन की

1 comment:

निशाचर said...

देश के साथ गद्दारी से बढ़कर कोई पाप नहीं.

तीखी पंक्तियाँ डॉ० रजा की कलम से.....