Friday, December 26, 2008

GAZAL

इस कस्बे में भाले उट्ठे और उसमें शमशीरें
यहाँ उठे श्लोक वीर के वहाँ उठी तकबीरें

अलग-अलग सब ढूँढ रहे थे ख्वाबों की ताबीर (स्वप्नफल)
लेकिन छुटपुट लड़ने से कब टूटी हैं जंजीरे

रोयाँ-रोयाँ जकड़ा पाया, साँस उखड़ी थी दामन की
सुनो भाइयो सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की

1 comment:

vipinkizindagi said...

बहुत सुंदर भाव