राही साहब की गजल पढवाने का शुक्रिया। आशा है आपके ब्लॉग पर उनकी अन्य रचनाऍं भी पढने को मिलती रहेंगी।
firoz ji rahi ji ki ye lines bahut acchi hai kab likhi hongi unhone ye nazm , kya angrezo se ladhai ke dauran ?अब आंखों के पानी के सिवा कुछ भी नहीं हैएहसास-ए-गुलामी के सिवा कुछ भी नहीं हैvijay
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2 comments:
राही साहब की गजल पढवाने का शुक्रिया। आशा है आपके ब्लॉग पर उनकी अन्य रचनाऍं भी पढने को मिलती रहेंगी।
firoz ji
rahi ji ki ye lines bahut acchi hai
kab likhi hongi unhone ye nazm , kya angrezo se ladhai ke dauran ?
अब आंखों के पानी के सिवा कुछ भी नहीं है
एहसास-ए-गुलामी के सिवा कुछ भी नहीं है
vijay
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