Tuesday, November 18, 2008

अकेला तूफान 1

राही मासूम रज़ा

मुझे तुम इन बातों में न टालो
मैं पूछती हूं उदास क्यों हो
मज़े में तो सो रहा है मुन्ना
मैं पूछती हूं निराश क्यों हो
वह गीत जो गाया करती थी मैं
वह गीत हैं अब भी याद मुझको
अलाव के गिर्द ऊंघते से
फसाने हैं अब भी याद मुझको
जिसे समझती थी सिर्फ राधा
वह गुनगुनाहट है याद मुझको
तुम्हारे बाजू है याद मुझको
हवा की आहट है याद मुझको
कहीं यह बातें भी भूलती है
इन्हीं से तो ज़िन्दगी में रस है
हर एक पत्ती ठहर गयी है
हवा नहीं किस कदर उमस है
मगर तुम आखिर उस क्यों हो
यह बात मैं पूछकर रहूंगी
अब अपनी राधा से क्या छुपाना
किसी से मैं कुछ नहीं कहूंगी

1 comment:

anil yadav said...

बेहतरीन....