जिन नैनन को देख के हिरनी अपनी आँख झुकाये
उन नैनन में घोर निराशा के बादल मँडराये
जन लम्बे बालों को देख के काला भी लहराये
उन लम्बे बालों की उलझन देख के जी में आये
इब श्मशान को ले चलते अर्थी इस गोरे शासन की
सुनो भाइयो सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की
छुटपुट टकराये भी खेतों की गोदी के पाले
डाकू बनकर जंगल-जंगल फिरे कहीं दिलवाले
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