Wednesday, December 31, 2008

तुम उठो तुम भी उठो

तुम उठो तुम भी उठो, पास उठो दूर उठो
फिर समन्दर को मथो, जहर का प्याला पीलो
पाठशाले हैं परेशान सदा देते हैं
मदरसे चाके-गिरेबाँ (हृदय-विदारक) सदा देते हैं
एक कयामत है बपा(उपस्थित) धर्म के ईवानों(धार्मिक स्थान) में
एक हंगामा है इस्लाम के बुतखानों में
यू तो हर काम में हर लख्ते-जुदा हैं दोनों
लेकिन इस अहदे फिरंगी से खफा हैं दोनों

अपनी तकदीर बना लेने के तदबीर तो है
फिक्र मजहब की नहीं है, गमे जागीर तो है

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