मैं चला आ रहा हू इसी गाँव से
है वहाँ क्या, मैं यह तो नहीं पूछता
अपने आँसू मेरी आँख को सौंपकर
सिर्फ इतना बता दो कि कौन आया था
वह जो है एक खण्डहर वह मेरा गाँव था
काँपते हाथ ने जाने क्या कह दिया
मैं नहीं सुन सका ऐ हवा रुक जरा
जुज फिरंगी (फिरंगी के अलावा) भला और कौन आएगा
यह न बतलाऊँगी और फिर क्या हुआ
यह न बतलाऊँगी और फिर क्या हुआ
भाइयों बहनों को यह मेरा लाडला
ढूँढते ढूँढते थक के सो भी गया
यह न बतलाऊँगी और फिर क्या
अम्माँ क्या भैया आए हैं मेरे लिए रोटी लाए हैं
No comments:
Post a Comment