यह आदमी की गुजरगाह!का शेष भाग
आती हू बीबी मैं आती हूं
राजा को तोरे तोरे सुलाती हूं
आई मैं बीवी पलकियन में
आई मैं चन्दा की अँखियन में
आजा री निंदिया तू आ क्यों न जा
राजा को मोरे सुला क्यों न जा
कह दिया लोरियाँ अब न गाओ मेरी बाजी कहाँ हैं बताओ
वह कहानी सुनायें तो सोऊँ बड़की अम्मा कहाँ हैं बुलाओ
आजा री निंदिया तू आ क्यों न जा
राजा को मोरे सुला क्यों न जा
लाड़ला सो गया अब न गाओ गाके लोरी इसे मत जगाओ
रात ढलने लगी तुम भी सो लो जख्म दुखते हैं मत गुनगुनाओ
हम भी चुपचाप अब लेट जाएँ
दिल के जख्मों पे मरहम लगाएँ
जो दरख्तों पे लटके हुए हैं
कह दो उनसे कि मत याद आएँ
याद करने से अब फायदा क्या
जाने वाले पलटते नहीं हैं
जिनको रहना था वह जा चुके हैं
हमको जाना था और हम यहीं हैं
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