इस कस्बे में भाले उट्ठे और उसमें शमशीरें
यहाँ उठे श्लोक वीर के वहाँ उठी तकबीरें
अलग-अलग सब ढूँढ रहे थे ख्वाबों की ताबीर (स्वप्नफल)
लेकिन छुटपुट लड़ने से कब टूटी हैं जंजीरे
रोयाँ-रोयाँ जकड़ा पाया, साँस उखड़ी थी दामन की
सुनो भाइयो सुनो भाइयो, कथा सुनो सत्तावन की
1 comment:
बहुत सुंदर भाव
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